Monday 14 December 2015

आखिर प्रिंट रेट से ज्यादा का पैसा किसकी जेब में जाता है ?

बाड़मेर। बाड़मेर जिले भर में शराब की लगभग 178 के करीब है। दिन को लगभग एक करोड़ का शराब गोदाम से उठता है और लगभग 80 से 90 लाख रूपये तक का बिकता है एमजीआर बड़ी बात यह है की इसमें शराब की दुकान के मालिक प्रिंट रेट से अधिक रूपये लेकर लोगो की जेब खाली कर रहा है। अगर 80 लाख रूपये की शराब बिकती है तो प्रिंट रेट से ज्यादा रूपये लेते है तो 10% के हिसाब से 8 लाख रूपये होते है। ऐसे में यह 8 लाख रूपये किसकी जेब में जाते है।  यह बात तो आबकारी विभाग को भी मालूम है की प्रत्येक शराब की दुकान में प्रिंट रेट से अधिक रूपये लिए जाते है। 68 रूपये का क्वाटर 80 रूपये में बिकता है 108 का क्वाटर 120 में बिकता है बियर भी 100 रूपये में बिक रही है ऐसे में दिन को लाखो रूपये की शराब बिकती है और लाखो रूपये लोगो की जेब से जाते है। मगर प्रशासन इस की और कोई ध्यान नहीं दे रहा है। कही यह लाखो रूपये विभाग के अधिकारियो की जेब में जाते है या विभाग को फायदा होता है ? अगर विभाग इस और ध्यान दे तो प्रिंट रेट से अधिक रूपये किसी को भी नहीं देना पड़े मगर विभाग इस और ध्यान नहीं देता है। एक दिन में अगर लाखो रूपये विभाग की जेब में ना जाकर किसी अन्य की जेब में जाता है तो इसका खामियाजा किसको भुगतना पड़ता है? यह खामियाजा आम नागरिक को भुगतना पड़ता है। सूत्रो के मुताबिक अधिकारियो को भी इस बारे में जानकारी बाई मगर कोई कार्यवाही नहीं करते है। अगर आम आदमी की जेब को चुना लगाते है तो इसका जिम्मेदार कोण है? आखिर विभाग कब करेगा इस पर कार्यवाही? क्या आम आदमी की जेब ऐसे ही खाली होती रहेगी? ऐसे कई सवाल है मगर इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है।

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