Saturday 12 December 2015

विज्ञान केन्द्र दांता पर आयोजित दो दिवसीय औशधीय फसल उत्पादन सेमीनार



बाड़मेर 12 दिसम्बर, 2015 वक्त के साथ खेती भी बदली है, देष में खेती किसानी कुल मिलाकर अभी भी मानसून का जुआ बनी हुई है। इस साल देष के कई इलाके सूखे की चपेट मे रहे हैं और आगे भी मौसम में अनअपेक्षित उतार-चढ़ाव के आसार है। इन्हीं सब को ध्यान में रखते हुए किसानों को अतिरिक्त आमदनी हेतु परंपरागत कृशि के साथ ही अन्य फसल के रूप में औशधीय फसल एक अच्छा विकल्प है। उक्त उद्गार कृशि विष्वविद्यालय जोधपुर के प्रोफेसर बी.एस. राठौड़ ने कृशि विज्ञान केन्द्र दांता पर आयोजित दो दिवसीय औशधीय फसल उत्पादन सेमीनार के उद्घाटन अवसर उपनिदेषक कृशि के.एल.वर्मा ने कहा कि जिले में औशधीय उत्पादन की अपार संभावना है एवं यह अतिरिक्त आमदनी का अच्छा स्रोत बन सकता है। डाॅ0 सीताराम ने ईसबगोल उत्पादन तकनीक पर विस्तृत चर्चा करते हुए उत्पादन तकनीक पर प्रकाष डाला। डाॅ0 मनमोहन सुंदरिया ने औशधीय फसल में लगने वाले विभिन्न कीट प्रबन्धन एवं उसके उपचार पर प्रकाष डाला। सहायक निदेषक उद्यान कजोड़मल कुमावत ने सेमीनार की रूपरेखा बताते हुए कहा कि राश्ट्रीय बागवानी मिषन के अन्तर्गत यह प्रषिक्षण करवाया जा रहा है, साथ ही उन्होंने उद्यान विभाग की विभिन्न योजनाओं की किसानों को जानकारी दी। कृशि विज्ञान केन्द्र दांता के प्रभारी डाॅ0 प्रदीप पगारिया ने केन्द्र द्वारा पिछले 4 वर्शों से विभिन्न एजेन्सियों के माध्यम से औशधीय फसल उत्पादन तकनीक पर प्रकाष डालते हुए बताया कि षंखपुश्पी, जीवन्ती, मुलेठी, व अग्निमंथ से किसान अन्य फसलों के साथ में अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर रहे हैं, साथ ही डाॅ0 पगारिया ने इसके बाजारीकरण पर विस्तृत चर्चा की।

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