सरूप प्रजापत
हीरा की ढ़ाणी / कस्बै में सार्वजनिक स्थान पर पानी पिने के लिए बस यात्री व राहगीरों के लिए परैशानी भरा हैं।
गांव तलिया में सार्वजनिक हैंडपंप नहीं होने पर कई दिक्कत का सामना करना पड़ रहा हैं। पुर्व में परेशानी को लेकर राजनेताओ को अवगत करवाया, बावजुद आज दिन तक हैंडपंप स्वीकृत नहीं हुआ ।
राहगीर होटल पर पानी पिते नजर आने लगे हैं या दुकानों पर पानी की बौतल खरीद कर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर है ।
इतना ही नहीं क्षैत्र में तिन साल से स्वीकृति के बावजूद हैंडपंप आज दिन तक नहीं खूद पाये हैं ।ढ़ाणी निवासी शिकायतें कर -कर थक चुके हैं । कई लोगो ने बताया कि पुर्व में स्वीकृत हैडपंप नई सरकार आने पर टैंडर निरस्त हो गया है पर लोगों को तिन साल बाद भी स्वीकृत हैंडपंप खूदने की आॅस बंधी हैं पर हैडपंपो की खुदवाई करवाने के लिए कोई भी पैरवी नहीं करने से बंधी आँसा निराशा में बदलती जा रही हैं ।
बस स्टैशन पर सार्वजनिक शौचालय का अभाव --
हीरा की ढ़ाणी ग्राम बस स्टैशन पर महिला यात्रीयो को कई दिक्कत का सामना करना पड रहा हैं । जानकारी अनुसार बस स्टैशन पर शौचालय का अभाव होने पर महिला यात्री को शौच के लिए मजबूरी में खूले में शौच जाना पड़ रहा हैं ।
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हीरा की ढ़ाणी / कस्बै में सार्वजनिक स्थान पर पानी पिने के लिए बस यात्री व राहगीरों के लिए परैशानी भरा हैं।
गांव तलिया में सार्वजनिक हैंडपंप नहीं होने पर कई दिक्कत का सामना करना पड़ रहा हैं। पुर्व में परेशानी को लेकर राजनेताओ को अवगत करवाया, बावजुद आज दिन तक हैंडपंप स्वीकृत नहीं हुआ ।
राहगीर होटल पर पानी पिते नजर आने लगे हैं या दुकानों पर पानी की बौतल खरीद कर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर है ।
इतना ही नहीं क्षैत्र में तिन साल से स्वीकृति के बावजूद हैंडपंप आज दिन तक नहीं खूद पाये हैं ।ढ़ाणी निवासी शिकायतें कर -कर थक चुके हैं । कई लोगो ने बताया कि पुर्व में स्वीकृत हैडपंप नई सरकार आने पर टैंडर निरस्त हो गया है पर लोगों को तिन साल बाद भी स्वीकृत हैंडपंप खूदने की आॅस बंधी हैं पर हैडपंपो की खुदवाई करवाने के लिए कोई भी पैरवी नहीं करने से बंधी आँसा निराशा में बदलती जा रही हैं ।
बस स्टैशन पर सार्वजनिक शौचालय का अभाव --
हीरा की ढ़ाणी ग्राम बस स्टैशन पर महिला यात्रीयो को कई दिक्कत का सामना करना पड रहा हैं । जानकारी अनुसार बस स्टैशन पर शौचालय का अभाव होने पर महिला यात्री को शौच के लिए मजबूरी में खूले में शौच जाना पड़ रहा हैं ।
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