Friday 26 February 2016

मृत्यु से पहले सत कर्म कर लो:-संत श्री सन्तोष सागर


बायतु:-कानोड़ में चल रहश्री मद भागवत कथा व् नानी बाई रो मायरो में संत श्री संतोष सागर जी महाराज ने कहा कि मृत्यु तो आनी निश्चित है, पर मरने से पहले कुछ नेक कार्य कर लो। अच्छे कार्य किये हुए ही तुम्हारे साथ चलें। आप किसी का भला करो तो भगवान आपका अपने आप लाभ कर दे। सन्त श्री कहते हैं कि जब तक आपका शरीर ठीक है, स्वास्थ्य ठीक है, तब तक राम का नाम ले लो, यदि शरीर साथ ही नहीं दे तो कैसे भगवान का भजन करोगे। कथा परिसर में भक्तो की भारी संख्या को सम्बोधित करते हुए संत संतोष सागर  जी महाराज ने विदुर विदुरानी कथा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान भक्त की जाति पाति नही देखता, पढ़ाई लिखाई नहीं देखते, उम्र नहीं देखते। भगवान देखते हैं तो केवल भक्ति भाव देखते हैं। भगवान खुद कहते हैं कि मैं तो भाव का भूखा हूंॅ, भाव के कारण ही तो शबरी भीलणी के हाथ से झुठे बेर खाए।व् मधुर भजनों की बौछार सुनील शर्मा की ।

भाव के कारण छप्पन भोग छोडक़र विदुरानी के हाथ से केले के छिलके खाने चले गए थे। दुर्योधन ने अनेक व्यंजन बनाए थे भगवान के लिए, पर दुर्योधन के मन में अभिमान था एवं विदुर विदुरानी के घर धन सम्पति तो नहीं पर भगवान के लिए अनन्य भाव था। रात भर जा-ते हुए भगवान को याद करते हुए रोते हुए भगवान को याद करते रहे। उसी भाव को देखते हुए भगवान ने विदुरानी के हाथ से केले के छिलके खाए थे। कर्म करो, सुकर्म करो, कोई भी कार्य करने से पहले सोचो कि मेरे द्वारा -लत कर्म तो नहीं हो रहा, जैसा कर्म करों वैसा ही फल मिले पेड़ बबुल और आम का फल प्राप्त कराना चाहोगे तो कैसे मिले बबुल का पेड़ लगाया है तो कांटे ही मिलेंगे और यदि आम का पेड़ लगाया तो मिठे मिठे फल प्राप्त होंगे। छोटे बच्चों से प्रार्थना है कि पढ़ाई में भरपुर मेहनत करो, निराशा में, या हताश होकर जीना तो जीना नहीं है, अच्छे कर्म करों तो सुख ही सुख मिलेगा और बुरे कर्म करो तो दुख ही दुख: मिलेंगे। इस दौरान समाज सेवी रेवत सिंह जी , छात्र नेता मालम सिंह कानोड़ , युथ फेडरेशन के बायतु ब्लाक अध्यक्ष रेंवत सिंह राजपुरोहित, सामाजिक कार्यकर्ता देरावर सिंह , देरावर सिंह राजपुरोहित,ओमप्रकाश सोनी,नरेंद्र शर्मा,राजू सोनी,देवीलाल पोटलिया,सहित कई आसपास के गांवों व ढाणियों के सेकड़ो भक्तजन मौजूद थे । सेकड़ो की संक्या में भक्त महाराज के भजनों पर झूम उठे ।


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