Monday 7 September 2015

लहराती फसलों को कम बारिश में बचाए रखने अब किसानों



बाड़मेर, 07 सितम्बर, 2015 मानसून की अच्छी शुरूआत के साथ लहराती फसलों को कम बारिश में बचाए रखने के लिए अब किसानों को जागरूक होकर परिवरिश करने की जरूरत है। जुलाई के प्रथम सप्ताह में सक्रिय हुए मानसून से खरीफ की फसलों को अच्छी बढ़वार मिली है। जिले में 15 अगस्त के बार मानसून कमजोर पड़ गया है ऐसी स्थिति में किसानों को अब फसलों में नमी प्रबन्धन के उपाय करने की जरूरत है। जिले में दलहन फसलें पकाव की अवस्था मे हैं वहीं बाजरा व ग्वार की फसल में बारिश की जरूरत है। बारिश की प्रतिकूल परिस्थिति में फसलों में नमी के लिए थायोयूरिया का छिड़काव बाजरा व ग्वार में करना चाहिए।  उक्त उद्गार  कृशि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डाॅ0 प्रदीप पगारिया ने गांव ढोक में कृशि विज्ञान केन्द्र द्वारा संचालित इक्रीसेट परियोजना के अन्तर्गत आयोजित एक दिवसीय प्रषिक्षण कार्यक्रम में व्यक्त किये। डाॅ0 पगारिया ने कहा कि थायोयूरिया के छिड़काव से फसल में 7-8 दिन तक की नमी बढ़ जाएगी और बाजरा व ग्वार की फसलों में प्रति हैक्टर 1 किलो थायोयूरिया छिड़काव की आवष्यकता है। और साथ ही बताया कि हम इस जमीन पर आसानी से होने वाली षंखपुश्पी, जीवंती, अरणी आदि की फसलों को यदि खरीफ के साथ सम्मिलित कर ले तो खरीफ से होने वाली आय के अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं।डाॅबर के वैज्ञानिक मनप्रीत सिंह ने औशधीय फसल षंखपुश्पी, मुलेठी,
अरणी, जाल, आक, धतूरा के औशधीय गुणों की जानकारी देते हुए सभी फसल लगाने के तरीकों तथा बाजारीकरण पर विस्तृत चर्चा की केन्द्र के  पर्यवेक्षक धीरज षर्मा ने उपस्थित कृशकों को स्वयं सहायता
समूह के गठन व उनके लाभों की जानकारी देते हुए बताया कि आप लोग समूह का गठन कर इन औशधीय फसलों को समूह द्वारा विक्रय कर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते है। इस कार्यक्रम में केन्द्र के एहदी खान तथा गांव के कृशक खुमाणसिंह, वेरीसालसिंह, कूंपसिंह, पदमाराम ने भी अपने विचार व्यक्त किये।


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