Wednesday 2 September 2015

वर्षा अमृत संचित, वर्ष भर होगा उपयोग



बाड़मेर: पिछले साल तक उन्हें मानसून की समाप्ति के साथ ही अगले मानसून तक पानी की उपलब्धता की चिंता सताने लगती थी लेकिन अब हालात बदल गए हैं। बाड़मेर भाडखा और ढूंडा पंचायत समिति के वर्षा जल संग्रहण तरीकों के बल पर मानसून के पहले दौर की बारिश से ही साल भर तक चलने लायक पानी को सहेज लिया गया है। तेल क्षेत्रों के आस पास खड़ीं की परंपरागत तकनीक को पुनर्जीवित करने और रेनवाटर हार्वेस्टिंग के नवप्रयोग उत्साहजनक नतीजे दे रहे हैं।

भाडखा और ढूंडा के लगभग दो सौ ग्रामीण परिवारों के लिए वर्षा जल की रजत बूंदों को सहेजने का प्रयास सुखद रहा है। तेल उत्पादन में जुटी केयर्न इंडिया के सहयोग से ग्रामीणों ने ये बरसात के पानी को सहेजने का बीड़ा उठाया और बारिश से पहले छोटे बड़े 142 जल संभरण केंद्र निर्मित किये गए। चालीस स्कूलों में स्कूल भवन की छत से परसट के पानी को स्कूल के टांके में सहेजने का भी सिस्टम विकसित किया गया।

थार के रेगिस्तान की पहचान भले ही पेट्रोलियम उत्पादन में भारत के अग्रणी क्षेत्र के रूप में होती हो लेकिन यहाँ के धरती पुत्र अभी भी वर्षा जल पर अपनी निर्भरता के चलते मानसून की मेहरबानी पर फसलों और पशु धन के चारे का आंकलन करते हैं। परंपरागत ज्ञान और आधुनिक तकनीक के सहारे वर्षा जल अमृत की बूंदों को सहेजने की कवायद की गयी है। बाड़मेर के तेल क्षेत्रों में व्यर्थ बह जाने वाले जल को रोकने के लिए जल सम्भरण संरचनाये बनाई जा रही हैं जो जल-खेती के जरिये किसानों को अच्छी खेती का वरदान देंगी।

"बाड़मेर उन्नति प्रोजेक्ट" के तहत केयर्न इंडिया और टेक्नोसर्व मिल कर शुष्क क्षेत्र में आर्थिक प्रगति के दीर्घकालिक उपायों पर कार्य कर रहे हैं। इसी उद्देश्य के साथ खडीन निर्माण का कार्य किया गया। वर्षा जल को लम्बे समय तक सहेज कर रखने की परंपरागत तकनीक के रूप में खडीन का महत्व मारवाड़ के बाशिंदों के लिए जाना पहचाना है लेकिन इस को ग्रामीणों के सक्रिय सहयोग से सबसे पहली बार कम समय में इतनी अधिक संख्या में निर्मित किया गया।

पानी के प्राकृतिक बहाव के मार्ग में अवरोध बना कर 'खेत का पानी खेत' और 'ढाणी का पानी ढाणी' में ही रोकने से ना केवल किसानों को फसल, चारा और पानी की सुविधा होगी बल्कि भूमिगत जल के स्तर में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।  खडीन का दीर्घकालिक फायदा ज़मीन की बढ़ी हुयी उर्वरकता के रूप में भी मिलता है।

बाड़मेर उन्नति प्रोजेक्ट की शुरुआत बरसाती पानी के अनियंत्रित बहाव से उपजी समस्याओं का निदान खोजते हुए हुयी। तेल उत्पादन प्रतिष्ठानों के आस पास रहने वाले किसान मानसून के दौरान पानी के बहाव से मिट्टी के कटाव की शिकायत करते थे। भाग्यम तेल क्षेत्र के निकट बने वेल पैड के चारों तरफ बरसाती पानी के बहाव को नियंत्रित और जल राशि को संचित करने के लिए खडीन के परंपरागत ज्ञान को ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के आधुनिक ज्ञान के साथ मिलाते हुए समस्या का हल खोज लिया गया।

प्रोजेक्ट के परिणामों से किसानों के साथ-साथ अधिकारी भी उत्साहित हैं। केयर्न इंडिया के सीएसआर प्रमुख नीलेश जैन के अनुसार, "ग्रामीणों के लिए पानी की उपलब्धता एक बड़ी सुविधा है।  हमें उम्मीद है की बरसात के पानी का यह संचय आने वाले महीनों में ग्रामीणों की चिंता को काफी हद तक काम कर देगा।"

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