Sunday 16 August 2015

अहिंसा परमो धर्म-साध्वी सुलक्षणा


बाडमेर 16 अगस्त। श्री जिनकान्तिसागर सुरि आराधना भवन में प.पू.साध्वी सुलक्षणा श्री जी म.सा.अपने चातुर्मासिक प्रवचन के अन्र्तगत प्राचीन समय की जीवन षैली में आये परिवर्तन की तुलना वर्तमान जीवन षैली के साथ छोटेःछोटे बालकों दारा नाटिका के माध्यम से करवाते हुए कहा कि प्राचीन समय में प्रत्येक जीव को अपनी जिन्दगी जीन की स्वत्रंता थी ,वह अब आज के समय में नही रही है,हमारे दारा जल्दबाजी में किंये जाने वाले कार्यो से न जाने कितने सूक्ष्म जीवों की हत्या जाने-अनजाने में की जाती ह,हम असावधानी पूर्वक चलते हैै ,उठते है , बैठते है,जिससे सैकडों सूक्ष्म जीवों की जिन्दगी समाप्त हो जाती है ,जैन षास्त्रकार एक बून्द पानी में भी अनन्त जीव बताते है,हमें पानी छान कर पीना चाहिए ,आज के युग में बोतल में बन्द पानी,पेप्सी, कोकाकोला आदि का संेवन  फैषन बन गया है,जो पाचात्य संस्कृति की देन है,षास्त्रकार बताते है कि कुमारपाल महाराजा के काल में 11 लाख घोडे थे उन घेाडो को पानी छानकर पिलाया जाता था । आज किसी जीव को जन्म लेने से पहले ही समाप्त कर दिया जाता है अर्थात भु्रण हत्या कर दी जाती है ,क्या उसको जीवन जीने का हक(अधिकार) नहीे है ? आगे कहा कि मनुष्य जीवन बडा दुर्लभ है , 84 लाख जीव योनि की परिक्रमा करने पर यह मिलता है ,रात्री में वर्षाकाल के समय भोजन करने से हमारे षरीर में बिमारियां पैदा होती है ,अतः हमें भोजन सूर्य अस्त से पहले करना चाहिए । साध्वी स्नेहांजना श्री जी म.सा. कहा कि हम सेन्ट ,सुगन्धित तेल,नाना प्रकार के क्रीम ,फे्रसवाष ,षेम्पु का उपयोग सौदर्य की निखार के लिए करते है ,हमें पता होना चाहिए कि ये सब सौदर्य सामग्री हिरण,खरगोष ,मछाली अन्य वन्य जीवों के मांस ,चर्बी ,खुन, अण्डो के रस से बनती है ,इनका सेवन(उपयोग)मनुष्स को नही करना चाहिए। अन्त में पूज्या श्री दारा भु्रण हत्या न करने ,सात्री भोजन त्याग,स्वदेषी अपनाने व विदेषी वस्तुओं कर त्याग करने व जमंीकन्द त्याग करने का संकल्प करवाया गया।सभी कार्यक्रमों की नाटिकाओं के दारा भव्य प्रस्तुति की गई  खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष रतनलाल संखलेचा व महामंत्री केवलचन्द छाजेड ने बताया कि कार्यक्रम में जोधपुर विधायक कैलाष जी भन्साली,अखिल भारतीय भन्साली समाज के अध्यक्ष पुखराज भन्साली सहित कई अतिथि उपस्थित थे।इनका खरतरगच्छ संघ दारा तिलक व माला व साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया  बच्चों के षिविर का हुआ आयोजन-आराधना भवन में दोपहर 2 बजे प.पू सुलक्षणा श्री जी म.सा की षिष्या प.पू. वीरांजना श्री जी म.सा. दारा छोटे-छोटे बालक-बालिकाओं को सुबह उठने के बाद माता-पिता को प्रणाम करना ,गुरू की आज्ञा का पालन,प्रतिदिन मन्दिर दर्षन,कुव्यसनों से दूर रहना ,रात्री में भेजन न करना,झूठ न बोलना आदि व्यावहारिक ज्ञान की षिक्षा दी गई। षिविर में 450 बालक- बालिकाओं (8 से 18 वर्ष तक)ने भाग लिया।

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