Saturday 15 August 2015

तप के द्वारा कर्म बन्धनो को तोड़ना ही असली आजादी

सवरूप सिंघवी 
बाड़मेर/जैन श्वेताम्बर तेरापंथ  सभा के उपाध्यक्ष पारसमण गोलेच्छा ने बताया कि स्थानिय तेरापंथ भवन भिक्षु कुजं मे ता 15 अगस्त 2015 आचार्य श्री महाश्रमण कि सुषिश्या साध्वी श्री सघं प्रभा के सानिध्य में तप एवं 69वा स्वंतन्त्रता दिवस कार्य क्र्रम आयोजित हुआ जिसमे बताया गया कि स्वतन्त्रता का अर्थ है स्वयं के द्वारा स्वयं को अनुषासित करना दो सौ बासठ वशौ की लम्बी जंग के बाद अंग्रेजी दासता से मुक्त होकर भारत 
ने संवैधानिक तोर पर 15 अगस्त सन 1947 के दिन जो आजादी हासिल की उसके लिए महात्मा गांघी के नेतृत्व में भगतसिंह, रामप्रसाद बिस्मिल जैसे न जाने कितने शहीदों ने बलिदान किया । किन्तु आजादी का असली आनन्द आज तक भी भारतीय जनता नहीं ले सकी।भस्टाचार  ,रिस्वत खेारी, बेरोजगारी, अफसरशाही चारित्रिक नैतिक पतन की स्थिति को देखते हुए आचार्य तुलसी ने अणुव्रत के माध्यम से यह आह्वाऩ किया -
आजाद भारत के निवासी अब तो जरा निहारे जीवन किधर है जा रहा क्षण एक दृश्टि डारे काष! भारतीय राजनेता व्यक्तिगत स्वार्थो और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राश्ट्र हित को सर्वौपरि महत्व देते तो हिन्दुस्तान का नक्षा कुछ और ही होता । उक्त विचार महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण की विदूशी शिश्या 
साध्वी संघप्रभा ने देष 69 वें स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष में व्यक्त किए। साध्वी श्री ने अपने 35 मिनट के प्रवचन में आगे कहा- भगवान महावीर की दृस्टि  में राग और द्वेश सबसे बड़े बन्धन है इन बन्धनों 
केा समता संयम और तप के द्वार तोड़ना ही असली आजादी को पाना है। ज्ञातव्य है कि इस अवसर पर भिक्षु कुंज तेरापंथ भवन में प्रातः श्रीमती पानीदेवी सिंघवी का सप्त दिवसीय तप अभिनन्दन उत्सव भी साध्वी श्री के सांनिध्य में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का मंगलाचरण एंव कुषल संचालन करते हुए साध्वी प्रांषुप्रभा मे  पानी देवी ने किया तपक का षुभ रस पान ‘‘ दोहो सामयिक पद्यों द्वारा तप अनुमोदना का आगाज किया । साध्वी कर्तव्ययषा एवं साध्वी मृदुप्रभा ने तप को भव सागर से पार करने वाली सुन्दर नौका बताया । कार्यक्रम के प्रारम्भ में साध्वी अखिलयक्षा ने भक्तामर स्तोत्र का मार्मिक विवेचन किया । प्रस्तुति के क्रम में तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष श्री पारसमल गोलेच्छा श्री मेवाराम वडेरा, महिला मण्डल व पारीवारिक जनो की ओर से श्रीमती जेठीदेवी जैन ने तपस्विनी बहिन पानीदेवी की अविचल अस्था, अप्रमत्रता, स्वाध्यायषील त्याग वेराग्य व सादगीमय जीवनषैली की बारम्बार अनुमोदना की । श्रीमती कौषल्यादेवी जैन ने चोले के तप की बोली लेकर तपस्विनी बहिन की वर्धापना की। अन्त में साध्वी श्री के मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन हुआ। इस मौके पर सभा के मंत्री जवेरीलाल चैपड़ा, मीठालाल चैपड़ा,  दिनेष सालेचा मण्डल की अध्यक्षा श्रीमती ऊशा जैन समेत अनेक प्रमुख लोग उपस्थित थे।

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